फर्रुखाबाद पुलिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कड़े रुख का ज़िक्र करते हुए, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में संविधान और कानून का राज खतरे में है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याचिकाकर्ता के वकील को गिरफ्तार करने और जिले की पुलिस अधीक्षक को वकील पेश होने तक अदालत से बाहर न जाने का आदेश दिया था । समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भाजपा के शासन में संविधान ही नहीं विधान भी खतरे में है।” उन्होंने लिखा, ”बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून’ या किसी अन्य क़ानून का उल्लंघन जब अधिकारी करेंगे तो अधिकारियों और उन अपराधियों में क्या अंतर रह जाएगा जो क़ानून तोड़ते हैं।’
सपा प्रमुख ने आरोप लगाया, ”शासन-प्रशासन विधि पर आधारित होना चाहिए, किसी की मनमानी पर नहीं। भाजपा ने प्रशासन का चुनावी दुरुपयोग एवं भ्रष्टाचारीकरण करके, प्रशासन को निरंकुश बना दिया है।” 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान फर्रुखाबाद में प्रशासनिक ज्यादतियों को याद करते हुए यादव ने कहा,”फ़र्रुख़ाबाद में प्रशासन की नाइंसाफी का इतिहास चर्चित रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रशासन की धांधली और ‘लाठीगिरी’ जैसा कितना निंदनीय कृत्य किया गया था, आज उसे भी याद किया जाए। फ़र्रुख़ाबाद के उस समय के उच्च अधिकारियों के विरुध्द भी इसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए थी। उन भ्रष्ट अधिकारियों ने कितना घपला करके भाजपा की सेवा की थी, इसका सबूत उनको तोहफ़े में दिये गये उनके आज के पद दे रहे हैं।
ऐसे भ्रष्ट अधिकारी याद रखें उनका नाम इतिहास में दर्ज़ हो चुका है और भविष्य उनके कुकर्मों का बंद खाता खोलेगा।” इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक (एसपी) को मंगलवार को अपनी हिरासत में अदालत में बैठा लिया था। हालांकि, बाद में अदालत ने उन्हें बुधवार को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के निर्देश के साथ जाने दिया। एसपी को अदालत कक्ष में बैठने का आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की पीठ ने प्रीति यादव नामक एक महिला की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। यादव का आरोप है कि उनके पति को पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया था। इससे पूर्व, नौ अक्टूबर, 2025 को याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था,” प्रथम दृष्टया यह कयामगंज थाने के प्रभारी अनुराग मिश्रा, क्षेत्राधिकारी और पुलिस अधीक्षक (फर्रुखाबाद) की ओर से न्याय में बाधा डालने का मामला प्रतीत होता है। अदालत ने उक्त पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी कर 14 अक्टूबर को अदालत में पेश होने को कहा था।
साथ ही अदालत ने इन अधिकारियों को याचिकाकर्ता से संपर्क करने, धमकी देने या उत्पीड़न करने से रोका था। याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल पूरक हलफनामा में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता नंबर दो और तीन (पीड़ितों) को प्रतिवादियों द्वारा आठ सितंबर को रात नौ बजे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और 14 सितंबर को रात 11 बजे रिहा किया गया। आरोप है कि रिहा किए जाने के समय याचिकाकर्ता से जबरदस्ती एक पत्र लिखवाया गया कि याचिकाकर्ता दो और तीन को हिरासत में नहीं लिया गया तथा वह अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर नहीं करेंगी। इसके बाद याचिकाकर्ता दो और तीन को रिहा कर दिया गया। उक्त बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका 12 सितंबर, 2025 को दाखिल की गई जिसके बाद उक्त पुलिस अधिकारियों को इसके बारे में 14 सितंबर को तब पता चला जब अदालत ने उन्हें समन जारी किया।
पुलिस अधीक्षक (फर्रुखाबाद) अदालत मंगलवार को में मौजूद थीं और उन्होंने अदालत को बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। हालांकि, अदालत में सुनवाई के बाद एसओजी (फर्रुखाबाद) ने याचिकाकर्ता के स्थानीय अधिवक्ता अवधेश मिश्रा गिरफ्तार कर लिया। जब अदालत को इस गिरफ्तारी के बारे में बताया गया तो अदालत ने एसओजी द्वारा अवधेश मिश्रा को अदालत के समक्ष पेश किए जाने तक पुलिस अधीक्षक (फर्रुखाबाद) को अदालत कक्ष नहीं छोड़ने का आदेश दिया। अवधेश मिश्रा को अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई बुधवार को करने का निर्देश दिया।