राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और मानवता की भलाई ही शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए : आनंदीबेन

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उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और मानवता की भलाई ही शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए। राज्यपाल ने महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ के द्वितीय दीक्षांत समारोह में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि “रोजगार ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य नहीं होना चाहिए। राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और मानवता की भलाई ही शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि “प्रौद्योगिकी आने से रोजगार के स्वरूप में परिवर्तन हुआ है, अतः युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कार्य करना चाहिए और नए-नए कौशल सीखने का प्रयास करना चाहिए।

पटेल ने कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इसी दिशा में एक सशक्त कदम है, जो शिक्षा को राष्ट्रीय मूल्यों, सांस्कृतिक धरोहर और रोजगार, तीनों से जोड़ती है। यह नीति विद्यार्थियों को तकनीकी चुनौतियों के अनुरूप तैयार करती है और उन्हें कुशल, आत्मनिर्भर, नैतिक एवं राष्ट्रनिष्ठ नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती है।” एक आधिकारिक बयान के मुताबिक इस अवसर पर राज्यपाल ने 60,857 विद्यार्थियों को उपाधियां तथा 68 पदक प्रदान किए, जिनमें से 51 पदक छात्राओं को एवं 17 पदक छात्रों को प्राप्त हुए। राज्यपाल ने इस अवसर पर जनपद आजमगढ़ और मऊ के आंगनबाड़ी केंद्रों के सशक्तीकरण हेतु 500 आंगनबाड़ी किटों का वितरण किया।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय का दूसरा दीक्षांत समारोह है और यह देखकर प्रसन्नता होती है कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है, सुविधाएं बढ़ रही हैं और सभी अकादमिक गतिविधियां समय पर संपन्न हो रही हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि “आपके हाथों में भारत के भविष्य की दिशा है। इसलिए संकल्प कीजिए कि आप ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से कार्य करेंगे। आने वाले 25 वर्ष युवाओं के हैं, इन्हीं वर्षों में ‘विकसित भारत’ का निर्माण होना है। हमारे प्रधानमंत्री जी ने युवाओं पर भरोसा जताया है कि वे ही देश की नींव को सुदृढ़ करेंगे और भारत को विश्व पटल पर गौरवान्वित करेंगे।” राज्यपाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय उस महान योद्धा महाराजा सुहेलदेव के नाम पर स्थापित है, जिन्होंने भारत की अस्मिता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी के सेनापति सैय्यद सालार मसूद गाज़ी को पराजित कर वीरता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अपने प्रेरणादायी संदेश में कहा कि आज से आप सभी के जीवन का एक नया अध्याय प्रारंभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल डिग्री प्राप्त करने का दिन नहीं है, बल्कि यह शिक्षा का प्रसाद है, जो आपको आपके गुरुओं के आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त हुआ है।

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