कंचौसी (कानपुर देहात)। दर्शन सिंह स्मृति महाविद्यालय परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का छठा दिन मंगलवार को भक्ति और आस्था की गहराइयों में डूबा रहा। कथा व्यास आचार्य शांतनु महाराज ने कहा कि भागवत कथा आत्मा और परमात्मा के मिलन का दिव्य मार्ग है। इसके सुनने से मनुष्य के कर्म में बदलाव आ जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आज समाज में जागरण के नाम पर हो रहे बदलावों को सही दिशा देना जरूरी है। जागरण का अर्थ भक्ति और साधना है, न कि नृत्य और दिखावा। ऐसे आयोजनों को भक्ति रस प्रधान होना चाहिए, ताकि समाज को सही दिशा मिल सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिया उदाहरण
कथा के दौरान आचार्य शांतनु महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोई नेता या संत दीपावली वनवासियों, गरीबों और पिछड़े वर्ग के बीच जाकर मनाते हैं तो यह भागवत का वास्तविक आदर्श है। उन्होंने कहा, भागवत हमें सिखाती है कि निज सुख के लिए नहीं, बल्कि परमार्थ और लोककल्याण के लिए जीना ही धर्म है। योगी जी जैसे नेता जब दीपावली समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के साथ मनाते हैं, तो यह रामायण और भागवत दोनों की मूल भावना को जीवित करता है। उन्होंने भगवान श्रीराम का उदाहरण भी दिया। अयोध्या लौटने पर श्रीराम के स्वागत में दीपावली मनाई गई थी। उसी प्रकार आज यदि दीपावली समाज से उपेक्षित वर्ग के बीच मनाई जाती है तो यह सनातन संस्कृति की जड़ों को और मज़बूत करता है।
परंपराओं का पोस्टमार्टम नहीं करें
छठें दिन की कथा में आचार्य शांतनु महाराज ने समाज को यह भी संदेश दिया कि परंपराओं का सम्मान करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, आजकल सांस्कृतिक कार्यक्रमों में परंपराओं का मजाक उड़ाया जा रहा है या उनका पोस्टमार्टम किया जा रहा है। यह ठीक नहीं। परंपराएँ हमारी संस्कृति और सभ्यता की धरोहर हैं, इन्हें संजोकर रखना ही आने वाली पीढ़ियों को संस्कार देने का मार्ग है।
राम और कृष्ण अवतार का वर्णन
कथा के छठे दिन आचार्य शांतनु महाराज ने भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के धरावतार का भी विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम और श्रीकृष्ण की लीलाओं का आधार यह है कि ईश्वर हर युग में मानवता की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए अवतरित होते हैं।
बरसात में भी डटी आस्था
मंगलवार को लगातार बारिश के बावजूद कथा स्थल पर श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था। वातावरण में गूँजते भजन और शंख-घंटी की ध्वनि ने पूरे परिसर को भक्ति रस से भर दिया।*माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म*कथा के समापन में आचार्य महाराज ने जीवन का मूल संदेश दिया। उन्होंने कहा, “इस धरती पर माता-पिता ही साक्षात ईश्वर हैं। उनकी सेवा और सम्मान करना ही सबसे बड़ा धर्म है। माता और पिता समस्त देवताओं के समान गुरु हैं। तीनों लोकों में इसमें कोई संदेह नहीं कि उनका वंदन ही सच्ची पूजा है। उन्होंने आगे कहा कि जो अपने माता-पिता की सेवा करेगा, वही अपनी आने वाली पीढ़ियों को संस्कारों की सही नींव देगा। यही सनातन संस्कृति को जीवित रखने का सबसे सशक्त माध्यम है।
मंत्री से लेकर महापौर तक सब पहुंचे
यह श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ स्वर्गीय माता कनकरानी और स्वर्गीय पिता दर्शन सिंह सहित पूर्वजों की स्मृति में अकबरपुर से भाजपा सांसद देवेन्द्र सिंह भोले, प्रेम शीला सिंह, विकास सिंह भोले (अध्यक्ष, स्वामी विवेकानंद युवा समिति) और अमित सिंह कर रहे हैं. इस आयोजन में प्रांत संघचालक भवानी भीख, कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, कानपुर नगर की महापौर श्रीमती प्रमिला पांडेय, पूर्व विधायक दिलीप सिंह उर्फ कल्लू यादव, पूर्व ब्लॉक प्रमुख राम स्वरूप कटियार, पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश राय, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के अधिवक्ता संजीव दुबे, आचार्य अरुण पूरी महाराज, , श्रीमती नीतू सिंह दीदी सहित सैकड़ों गणमान्यजन और क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।