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| कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का 71 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। पटेल कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, लेकिन आज सुबह करीब 30 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। कांग्रेस पार्टी को अहमद पटेल के निधन से बड़ा झटका लगा है, क्योंकि अहमद पटेल न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के चाणक्य माने जाते थे
नई दिल्ली | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का 71 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। पटेल कुछ हफ्ते पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, लेकिन आज सुबह करीब 30 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। कांग्रेस पार्टी को अहमद पटेल के निधन से बड़ा झटका लगा है, क्योंकि अहमद पटेल न सिर्फ कांग्रेस पार्टी के चाणक्य माने जाते थे, बल्कि ऐसे कई मौकों पर उन्होंने पार्टी के लिए 'ट्रबल शूटर' की भूमिका निभाई थी। राजनीति के मझे खिलाड़ी रहे अहमद पटेल को सोनिया गांधी का राजनीतिक संकटमोचक माना जाता था। जब भी कांग्रेस पार्टी या खुद सोनिया गांधी किसी राजनीतिक संकट में होती थीं, अहमद पटेल पर्दे के पीछे से ही राजनीति की पटकथा लिख दिया करते थे और पार्टी को मुश्किल हालातों से उबार लाते थे।
देश के राजनीतिक इतिहास में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने जितने भी शानदार प्रदर्शन किए, चुनाव जीते, उनमें अहमद पटेल का खासा योगदान माना जाता था। एक तरह से वह कांग्रेस पार्टी के वह सेनापति थे जो मुश्किलों का सामना करने के लिए आगे की पंक्ति में खड़ा रहते थे। साल 2004 का लोकसभा चुनाव हो या 2009 का, उन दोनों चुनावों में अहमद पटेल के योगदान को कांग्रेस के साथ-साथ इस देश ने देखा है। इसके अलावा भी किसी विधानसभा चुनाव में अभी अगर पार्टी विषम परिस्थिति में होती थी, तो अहमद पटेल ही एक ऐसे नेता थे, जिन पर सोनिया गांधी को पूरा भरोसा होता था कि वे इस संकट से पार्टी को उबार देंगे। उन्होंने अपनी रणनीतिक कौशल से कई बार अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस की सरकार बनवाई, मगर कभी मंत्री नहीं बने।
कांग्रेस नेता अहमद पटेल का निधन, राहुल-प्रियंका ने जताया शोक
राजनीतिक गलियारों में अहमद पटेल को 'बाबू भाई', 'अहमद भाई' और 'एपी' के नाम से जाना जाता था। दशकों तक वे कांग्रेस पार्टी के न सिर्फ मुख्य रणनीतिकार रहे, बल्कि मुश्किल से मुश्किल हालातों में पार्टी को संकट से उबारने वाले महा रणनीतिकार भी रहे। उनके जाने से कांग्रेस पार्टी को उनकी कमी बहुत खलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी अभी काफी मुश्किल दौर से गुजर रही है। पार्टी के भीतर ही असंतोष की आवाज निकल रही है और चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ रहा है। अभी कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व और कार्यशैली को लेकर पार्टी के भीतर से बगावत के सुर बाहर आ रहे
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