बच्चो के शारिरिक और मानसिक विकास पर क्या असर हो रहा है। बच्चे क्या करें जिससे वे चुस्त दुरुस्त रहें। कैसे कोरोना से बचें साथ मे अन्य बीमारियों से भी। आपकी इन्ही तमाम चिंताओं पर दैनिक यूपी की एडिटर इन चीफ अंजना शर्मा ने सीताराम भारतीया अस्पताल के वरिष्ठतम चिकित्सक, बच्चों के स्पेसलिस्ट एचपीएस सचदेवा से विस्तार से बात की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश ----
बारिश का मौसम है। मौसम में बदलाव के साथ बच्चों में तरह तरह के फ्लू हो सकते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन क्लास में घण्टो मोबाइल या लैपटॉप के सामने बैठे रहना। घर मे रहने की वजह से फिजिकल एक्टिविटी की कमी। कोरोना के साथ कई तरह के अलग खतरे।
प्रश्न -कोरोना संक्रमण चल रहा है। लेकिन इस समय सीजन ऐसा है कि सामान्य बुखार, सर्दी जुकाम आदि भी हो रहा है। कैसे तय करेंगे कि सामान्य सर्दी बुखार है या कोरोना है?
उत्तर- ये बहुत ही महत्वपूर्ण और कठिन सवाल है। बिना टेस्ट के डायग्नोसिस नही हो सकता। तरह तरह के फ्लू हैं। कह नही सकते कि क्या है जब तक जांच न हो। कोरोना के लक्षण भी अलग अलग आ रहे हैं। बच्चों में जो लक्षण पश्चिम में और यहां पर देखने को मिला है काफी भिन्न तरह का है। कुछ बच्चों में कोई लक्षण नही है। एसिम्प्टोमैटिक (अलक्षणी) हैं। कुछ को ज्यादा फीवर है। कुछ रेयर मामलों में सिस्टमैटिक इन्फ्लेमेशन उसे कह रहे हैं इसमें दिमाग, हार्ट, लंग में संक्रमण हो रहा है। आम तौर पर बच्चों में ज्यादा फीवर नही हो रहा है। लेकिन तभी कन्फर्म हो सकता है जब आरटीपीसीआर हो या एंटीजेन टेस्ट हो। आजकल सीजन की वजह से एलर्जिक समस्या भी है। अगर कहीं बच्चे का एक्सपोजर नही है तो इंतजार कर सकते हैं। सामान्य भी बुखार हो सकता है। दो तीन दिन में सुधार हो जाएगा। अगर बना रहता है तो टेस्ट जरूर कराएं।
प्रश्न -आजकल बच्चे घर से बाहर नही जा रहे। आन लाइन एजुकेशन चल रही है। पहले कहते थे बच्चों को गजट से दूर रखो लेकिन आजकल क्लास की वजह से काफी समय ऐसे उपकरणों मोबाइल, लैपटॉप पर बीत रहा है। बच्चों में शारिरिक और मानसिक क्या असर होने की संभावना है, और कैसे बचें?
उत्तर -पहले तो ये स्पष्ट कर दूं पांच साल से कम के बच्चों का या जिनका भी टीकाकरण अगर नही हुआ है तो अस्पताल में रूटीन टीकाकरण जरूर करा लें। क्योंकि और भी जो बीमारी खतरनाक है उसका खतरा होगा। दूसरा हर किसी के पास जगह नही है। लेकिन हो पाए तो शाम या दिन में मास्क पहनाकर
खुली जगह, गार्डन में ले जाकर दूसरों से बिना मिले जुले फिजिकल एक्टिविटी की जरूरत है। क्योंकि बच्चो पर मानसिक व शारीरिक असर पड़ रहा है। बच्चा डिप्रेस्ड हो सकता है। खेलना अकेले में कराएं या एक ही घर के बहन हों साथ मे खेल सकते हैं। जितना संभव है हर जगह एक ही क्राइटेरिया नही हो सकता। अपनी स्थिति के मुताबिक रास्ता निकाल सकते हैं। हाथ धोते रहें मास्क लगाकर जितना संभव हो एक्टिविटी कराएं।
पहले बहुत लंबी क्लास चल रही थी। बैठकर एक ही जगह क्लास से गर्दन पर असर होता है। आंख, मसल पर असर पड़ेगा। थोड़ी फिजिकल एक्टिविटी जरूर कराएं। गाइडलाइन मे बदलाव किया गया है ये अच्छा कदम है।
प्रश्न -गाइडलाइन का ठीक से पालन नही हो रहा। ऑनलाइन पढ़ाई के लिए ज्यादा समय तक बैठना पड़ रहा है? क्या समस्या हो सकती है और क्या निदान सम्भव है?
उत्तर -बैकपेन, सिरदर्द और अन्य चीजें शुरू हो जाएंगी। बच्चो के लिए तीन चार घण्टे ज्यादा हैं। संतुलित नही करेंगे तो जो समस्या कम्प्यूटर पर काम आने वाले बड़ों में होती थी गर्दन में दर्द, बैक पेन, आंख की समस्या वह जल्दी बच्चों में शुरू हो जाएगी।
प्रश्न -सामान्य तौर पर ऑनलाइन कितने घण्टे एजुकेशन लेना चाहिए?
उत्तर -पांच से दस साल के बच्चों के लिए दो घण्टे। पांच से कम साल में एक घण्टे। इससे ज्यादा ठीक नही है।
प्रश्न -विटामिन डी काफी कम हो रहा है बच्चों में? क्या उपाय है?
उत्तर -विटामिन डी की पहले से ही कमी हो रही थी। विटामिन दो तरह का होता है। डी 3 और डी 2, डी थ्री नॉन वेज और अंडे में होता है। दूध फोर्टिफाइड हो तो उसमें भी हो जाता है।
डी 2 सब्जियों मशरूम में होता है। घर मे सूरज की रोशनी न हो तो दिक्कत ज्यादा है। फिजिकल एक्टिविटी और खुराक ठीक हो तो इस मौसम में ज्यादा चिंता नही। सर्दियों में ज्यादा समस्या होती है।
प्रश्न -टेली मेडिसिन कितना प्रभावी है? हॉस्पिटल विजिट करना कितना सुरक्षित है?
उत्तर -हमें बचाव करना है। पहले टेलीमेडिसिन कानूनन अनुमति नही थी। अब अनुमति है। स्किन की पिक्चर भेजकर सलाह ले सकते हैं। बुखार है या कुछ और हो पूछकर हो सकता है। लेकिन जो चीज देखना ही है गले के अंदर कुछ है। सर्जरी हो टीकाकरण हो जाना ही पड़ेगा। टेलीमेडिसिन की लिमिटेशन है। पैर टूट गया, हड्डी टूट गई तो जाना ही पड़ेगा। हां जिन मामलों में अवॉयड कर सकते हैं टेलीमेडिसिन अच्छा विकल्प है। आप विजिट अवॉइड कर सकते हैं। लेकिन जहां जरूरी है एहतियात के साथ अस्पताल जाना ही पड़ेगा।
प्रश्न -अगर बच्चे बाहर नही जा पा रहे हैं और घर मे रहें तो क्या करना चाहिए?
उत्तर -हमारा परम्परागत तरीका है। योग कराएं। एक्सरसाइज करना सिखाएं। इंटरैक्ट करना सिखाये, फेमिली वैल्यूज बढ़ाएं उनकी मानासिक शक्ति बढ़ेंगी। उनके साथ इन्वॉल्व हों। कुछ न कुछ किसी टाइम पर पूरी एहतियात के साथ बाहर ले जाना एक्सप्लोर करना चाहिए।
प्रश्न -बाहर ले जाएं तो क्या एहतियात होना चाहिए?
उत्तर -बीमार हो तो न ले जाएं। मास्क पहनाएं। हाथ धुलायें। सैनिटाइज कराएं। दूसरे से न मिलें। वही एहतियात जो बड़ों के लिए है बच्चों के लिए भी करें। देखभाल करें वो भीड़ में न जाये। घुले मिले नही। दूर रहकर खेलें।
प्रश्न-मास्क को लेकर भ्रम है। किस तरह का मास्क लगाएं?
उत्तर- सीजीएचएस की गाइडलाइन है। कपड़े का ट्रिपल लेयर मास्क लगाएं। अच्छे से ढका हुआ हो इस तरह का मास्क पहनाकर ले जाएं। जिससे खुद इन्फेक्टेड हो तो दूसरों को न करें। एन - 95 मास्क हेल्थ वर्कर्स के लिए है।
प्रश्न- बच्चों का क्या खिलाना चाहिए?
उत्तर -बस फ़ास्ट फ़ूड न दें। पौष्टिक खाना खिलाएं। सुरक्षा के साथ एक्टिविटीज करने दें। खेलने दें।