समझ आया बजट?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया तो कई तरह के सवाल थे? दशक का पहला बजट किसको राहत देगा? आम आदमी को? बड़े घरानों को, उद्योग जगत को? या फिर अर्थव्यवस्था को? करीब पौने तीन घंटे बाद वित्तमंत्री जब स्वास्थ्य की वजह से कुछ असहज हुईं तो लगा निर्मला बजट से सहानुभूति तो हो सकती है। कोई उत्साह नही हो सकता। शेयर बाजार इसी सेंटिमेंट की वजह से लुढ़का। हां ये सुकून जरूर कि टैक्स का और बोझ नही बढ़ा। राहत के नाम पर विकल्प मिला है। टटोलने के लिए।
मोदी सरकार ने मुख्यत: तीन बातों पर फोकस किया है। वित्त मंत्री ने खुद कहा आकांछा का भारत, आर्थिक विकास और केअरिंग सोसाइटी।
लेकिन बजट में इसका ठोस मॉडल नही दिखता। विपक्ष ने इसे लिप सर्विस बजट कहा। किसी ने इसे ड्रीम बजट कहा। सत्ता पक्ष ने इसकी सराहना की। लेकिन ज्यादातर लोगों का सवाल यही है बजट समझ आया। दरअसल आंकड़ों की बाजीगरी गजब होती है। जैसा चाहिए व्याख्या कीजिये
समझ आया बजट?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया तो कई तरह के सवाल थे? दशक का पहला बजट किसको राहत देगा? आम आदमी को? बड़े घरानों को, उद्योग जगत को? या फिर अर्थव्यवस्था को? करीब पौने तीन घंटे बाद वित्तमंत्री जब स्वास्थ्य की वजह से कुछ असहज हुईं तो लगा निर्मला बजट से सहानुभूति तो हो सकती है। कोई उत्साह नही हो सकता। शेयर बाजार इसी सेंटिमेंट की वजह से लुढ़का। हां ये सुकून जरूर कि टैक्स का और बोझ नही बढ़ा। राहत के नाम पर विकल्प मिला है। टटोलने के लिए।
मोदी सरकार ने मुख्यत: तीन बातों पर फोकस किया है। वित्त मंत्री ने खुद कहा आकांछा का भारत, आर्थिक विकास और केअरिंग सोसाइटी।
लेकिन बजट में इसका ठोस मॉडल नही दिखता। विपक्ष ने इसे लिप सर्विस बजट कहा। किसी ने इसे ड्रीम बजट कहा। सत्ता पक्ष ने इसकी सराहना की। लेकिन ज्यादातर लोगों का सवाल यही है बजट समझ आया। दरअसल आंकड़ों की बाजीगरी गजब होती है। जैसा चाहिए व्याख्या कीजिये।
वित्त मंत्री ने बजट में कहा कि जीएसटी लागू किए जाने के बाद ट्रक के जरिए माल ढुलाई पहले से 20 फीसदी अधिक तेजी हुई है। साथ ही, जीएसटी के लागू होने के बाद से अब तक हर महीने हाउसहोल्ड बजट में 4 फीसदी की बचत हो रही है। पिछले 2 साल में 60 लाख नए टैक्सपेयर्स जुड़े हैं और 105 करोड़ ईवे बिल जेनरेट किए गए हैं। पता नही ये दुखती रग को छेड़ना जैसा है। इससे आगे की दिशा को लेकर कोई उत्साह भला कैसे हो।
वित्त मंत्री ने बताया कि 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के तहत आयुष्मान भारत, उज्ज्वला स्कीम, सोलर पावर, क्रेडिट सपोर्ट, पेंशन से लेकर किफायती घरों पर फोकस कर रही है। लेकिन इसमें नया क्या?
हालांकि वित्तीय सेक्टर में केंद्र सरकार ने जो सबसे बड़ा कदम उठाया वो ये कि बैंकों के डूब जाने के बाद जो डिपॉजिट इंश्योरेंस 1 लाख रुपये का था, वो बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि अगर जिस बैंक में आपका अकाउंट है, अगर वो बैंक भविष्य में दिवालिया होती है कि तो आपके अकाउंट में जमा रकम की सुरक्षा हेतु 5 लाख रुपये मिल सकते हैं।
सबसे ज्यादा नजर इनकम टैक्स के मोर्चे पर थी। केंद्र सरकार ने इस बार 5 स्लैब बनाया है, जिसमें 5 लाख रुपये तक के सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। 5 लाख से 7.5 लाख रुपये के आय पर 10 फीसदी, 7.5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के आय पर 15 फीसदी, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के आय पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा। वस्तु एवं सेवा कर रिटर्न का सरलीकरण प्रस्ताव को 1 अप्रैल 2020 से लागू किया जाएगा। रिफंड प्रोसेस में भी बदलाव किया जाएगा।
ग्रामीण सेक्टर, कृषि, सुरक्षा हर जगह आपको मामूली बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। लेकिन जीडीपी ग्रोथ को लेकर जो अनुमान जताए गए वह मौजूदा बजट देखकर उम्मीदों से ज्यादा सपनों का महल लगता है। लेकिन बेहतर दशक के लिए शुभकामनाएं। और वित्तमंत्री को भी साधुवाद उन्होंने अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण पढ़ने का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया।
जय हिंद।